स्वास्थ्य-चिकित्सा >> यूनानी चिकित्सासार यूनानी चिकित्सासारवैद्यराज दलजीत सिंह जी
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प्रकाशकीय वक्तव्य
‘कुछ ही वर्ष पहले हमने प्रस्तुत ग्रन्थ के लेखक ठाकुर दलजीत सिंहजी द्वारा लिखित ‘‘यूनानी सिद्धयोग संग्रह’’ नामक ग्रन्थ का प्रकाशन किया था, जिसका आशातीत समादर वैद्य- समाज तथा सर्वसाधारण पाठकों के बीच हुआ। किन्तु, इस प्रकाशन के बाद भी हम यह बराबर अनुभव करते रहे कि यदि यूनानी चिकित्सा पर राष्ट्रभाषा में कोई योजनाबद्ध, सुन्दर, सरल एवं अधिकृत ग्रंथ भी प्रकाशित किया जाये तो हमारे वैद्य समाज का अपने देश में ही प्रचलित, परिवर्द्धित एक अन्य चिकित्सा-पद्धति की जानकारी से बड़ा हित-साधन हो। अतएव आज इस ग्रंथ को हिन्दी भाषा-भाषी पाठकों तथा वैद्य-समाज के सम्मुख लेकर उपस्थित होते हुए हम में अपार हर्ष का संचार हो रहा है।
ठाकुर दलजीत सिंहजी अरबी-फारसी के बड़े अच्छे पंडित और इन भाषाओं में लिखित यूनानी चिकित्सा-शास्र के सुविज्ञ यशस्वी वैद्य हैं। इसके अतिरिक्त आप संस्कृत के भी पण्डित हैं और : आयुर्वेद-शास्र के ज्ञाता निपुण वैद्य भी। अतः इस विषय पर विचार करने और लिखने का आपको पूरा अधिकार है ; और चूँकि चिकित्सा-शास्त्र एक ऐसा विषय है, जिस पर अनभिज्ञ, पल्लवग्राही लेखकों द्वारा लिखित पुस्तकों से सर्वसाधारण एवं अन्य चिकित्सक महानुभावों के बीच भ्रम का संचार हो सकता है, ऐसे ग्रंथों के प्रकाशन में बहुत सतर्कता की आवश्यकता है। हमें विश्वास है कि ठाकुर दलजीत सिंहजी द्वारा प्रणीत ग्रंथों में वैसी किसी अनधिकृत बातों का समावेश नहीं होगा।
आज हिन्दी हमारी राष्ट्रभाषा के आसन पर आसीन है। अतः यह हमारी वर्तमान पीढ़ी की शिक्षा-दीक्षा का माध्यम भी होने जा रही है। इसलिये आवश्यक है कि हिन्दी में ऐसे सभी प्रमुख विषयों पर ग्रंथ प्रकाशित हों जो किसी समय जनसाधारण के बीच समादृत थे और जिनसे लोकोपकार के कार्य होते रहे हों। कहना नहीं होगा कि यूनानी चिकित्सा-पद्धति का प्रचार इस देश में कभी आधुनिक एलोपैथी की तरह ही व्यापक एवं लाभदायक था। आज भी इस देश के एक बड़े जनसमुदाय की चिकित्सा का यह प्रमुख अंग बना हुआ है और इसमें इतने अच्छे हकीम मौजूद हैं जो इस पद्धति से निदान करके भी रोगों को दूर करने में चमत्कार दिखलाते हैं।
इसी विचार से प्रेरित होकर हमने इस ग्रंथ का प्रकाशन किया है। आशा है, इससे हमारे वैद्यबन्धु और साधारण जन उचित लाभ उठाकर हमारे श्रम की सार्थकता सिद्ध करेंगे।
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